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गुरुवार, 13 जून 2024

ओ लेवल और सीसीसी कंप्यूटर प्रशिक्षण के लिए 21 जून तक संस्था आवेदन करें




⚫ Published from Blogger Prime Android Appओ लेवल प्रशिक्षण के लिए 21 तक करें आवेदन

**गोण्डा, 13 जून, 2024** - पिछड़ा वर्ग के बेरोजगार युवक-युवतियों के लिए ओ लेवल और सीसीसी कम्प्यूटर प्रशिक्षण योजना वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए ऑनलाइन संचालित की जा रही है। वर्ष 2024-25 में योजना के तहत भारत सरकार की अधिकृत संस्था नीलिट (राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान) से मान्यता प्राप्त संस्थाओं द्वारा मान्य पिछड़े वर्ग के युवक-युवतियों को 'ओ लेवल एवं सीसीसी कम्प्यूटर प्रशिक्षण' कराने के लिए जनपद में कार्यरत संस्थाओं द्वारा आवेदन किया जा सकता है। ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 21 जून है। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की वेबसाइट पर प्रारूप मिल सकेगा। 

आवेदन करने के बाद संस्था द्वारा ऑनलाइन भरे गए आवेदन की प्रति डाउनलोड कर हस्ताक्षरित करते हुए सभी अभिलेखों और उपलब्ध संसाधनों से संबंधित विवरण सहित निदेशालय पिछड़ा वर्ग कल्याण इन्दिरा भवन, 10वां तल, अशोक मार्ग, लखनऊ एवं जिला पिछड़ा अधिकारी कार्यालय, गोण्डा में 21 जून तक अनिवार्य रूप से हार्डकॉपी उपलब्ध कराई जाएगी।

मंगलवार, 28 मई 2024

रे प का आरोपी 8 साल बाद हुआ गिरफ्तार









Published from Blogger Prime Android Appहरियाणा के नूंह जिले में रेप और किडनैपिंग के आरोपी आमिर को आठ साल बाद गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बताया कि आमिर राजस्थान के डीग के परेही गांव का रहने वाला है और 2016 में किडनैप और रेप के मामले में वांछित था। इस मामले की जानकारी राजस्थान पुलिस को दे दी गई है। आरोपी को सोमवार को नूंह जिले से गिरफ्तार किया गया।
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रविवार, 26 मई 2024

बच्चों ने कर दी ऐसी हरकत, मां पर लगा 73 लाख का जुर्माना


चार्लोट उस वक्त हैरान रह गईं, जब डिपार्टमेंट ऑफ फिश एंड वाइल्डलाइव के अधिकारी ने उन्हें एक टिकट दिया और कहा कि आपके पांच बच्चों ने बिना लाइलेंस के क्लैम एकत्रित कर लिए हैं.

बच्चों ने क्लैम एकत्रित कर तोड़ा नियम 


बच्चों ने क्लैम एकत्रित कर तोड़ा नियम 
एक महिला अपने बच्चों को बीच पर घुमाने के लिए ले गई थी. समुद्र किनारे बच्चों ने ऐसी हरकत कर दी, कि महिला को 73 लाख रुपये का जुर्माना देने को कहा गया. मामला अमेरिका के कैलिफोर्निया का है. उस पर आरोप है कि उसके बच्चों ने समंदर किनारे सीशैल समझकर 72 क्लैम एकत्रित कर लिए. चार्लोट रुस और उनके बच्चे पिस्मो बीच गए थे. वहीं पर ये घटना हुई. ये समुद्र तट 'दुनिया की क्लैम राजधानी' के रूप में प्रसिद्ध है. चार्लोट उस वक्त हैरान रह गईं, जब डिपार्टमेंट ऑफ फिश एंड वाइल्डलाइफ के अधिकारी ने उन्हें एक टिकट दिया और कहा कि आपके पांच बच्चों ने बिना लाइलेंस के क्लैम एकत्रित कर लिए.

रुस ने एबीसी30 से बात करते हुए कहा, 'मेरे बच्चों ने सोचा कि वे सीपियां इकट्ठा कर रहे हैं, लेकिन सच कहें तो वे वास्तव में क्लैम इकट्ठा कर रहे थे. हमारे जाने से ठीक पहले जब मैंने टिकट देखा, तो हैरान थी. इसमें जुर्माना देने को कहा गया. इसने मुझे सचमुच दुखी और उदास कर दिया है.' सीपियां अक्सर पानी के साथ बहकर आ जाती हैं. जिन्हें लेने में कोई दिक्कत नहीं. लेकिन क्लैम काफी ज्यादा ढूंढने पर ही मिलते हैं. इनमें जीव होते हैं, जो इसे खोलने पर मर सकते हैं. द इंडिपेंडेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, सैन लुइस ओबिस्पो काउंटी के जज को अपनी गलती समझाने के बाद महिला का जुर्माना घटाकर 500 डॉलर (करीब 41,000 रुपये) कर दिया गया है.

ये नियम इन प्रजातियों की सुरक्षा के चलते लागू किए गए हैं. आउटलेट ने डिपार्टमेंट ऑफ फिश एंड वाइल्डलाइफ के लेफ्टिनेंट मैथ्यू गिल के हवाले से कहा, 'ये नियम इसलिए बनाए गए हैं, ताकि शेलफिश साढ़े चार इंच तक बढ़ सके ताकि वो हर साल अंडे दे सकें और संतान पैदा कर सकें, जिसमें छोटे क्लैम भी शामिल हैं.' लेफ्टिनेंट गिल ने कहा कि समुद्र किनारे जाने से पहले खुद को और अपने बच्चों को शिक्षित करें. उन्होंने कहा, 'अगर आपको एक मृत सैंड डॉलर, मृत जानवर, या टूटा हुआ सीप मिलता है, तो इसे इकट्ठा करने में कोई दिक्कत नहीं. हालांकि, क्लैम के मामले में आप दोनों सीपियों को एक साथ जुड़ा देखेंगे. अगर सीपियां आसानी से अलग नहीं होती हैं, तो इसका मतलब ये एक जीवित क्लैम है.'

बुधवार, 22 मई 2024

थाना धानेपुर पुलिस द्वारा 01 वांछित हत्याभियुक्ता को किया गया गिरफ्तार

Gonda,  अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी  मनोज कुमार रावत के पर्यवेक्षण व क्षेत्राधिकारी सदर  शिल्पा वर्मा के नेतृत्व में गठित थाना धानेपुर पुलिस टीम द्वारा मु0अ0स0- 138/2024, धारा 302, 34 भादवि से सम्बन्धित 01 और वांछित हत्याभियुक्ता 01. संगीता सिंह पत्नी संतोष सिंह निवासी गूंगीदेई थाना धानेपुर जनपद गोण्डा को गूंगीदेई गाँव के बाहर रोड़ से गिरफ्तार कर लिया गया। 

घटना का संक्षिप्त विवरण-
दिनांक 18.05.2024 को वादिनी द्वारा थाना धानेपुर पर सूचना दिया कि प्रार्थीनी की माँ मेरे साथ काफी समय से निवास कर रही थी मेरे सेवा भाव के कारण अपने हिस्से की कुछ जमीन मेरे नाम करने  हेतु दिनांक 16.05.2024 को रजिस्ट्री दफ्तर गोण्डा आयी थी। जिसका विरोध मेरा भाई संतोष सिंह, भतीजा आवेश सिंह, भाभी संगीता सिंह व अन्य लोगो द्वारा करते हुए  मेरी माँ को जबरदस्ती अपने घर ले गये तथा रात्रि में इन लोगो द्वारा मेरी माँ की हत्या कर दी गई।  उक्त सूचना पर थाना स्थानीय पर मु0अ0स0-138/2024, धारा 302, 34 भादवि बनाम संतोष सिंह आदि 6 नफर के विरूद्ध अभियोग पंजीकृत किया गया था । घटना में संलिप्त अभियुक्तों की शीघ्र गिरफ्तारी हेतु टीमों का गठन किया गया था। जिसके क्रम में 19.05.2024 को 02 नामजद आरोपी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। आज दिनांक 22.05.2024 को थाना धानेपुर पुलिस 01 और वांछित अभियुक्ता 01. संगीता सिंह को गूंगीदेई गाँव के बाहर रोड़ से गिरफ्तार कर लिया गया है । गिरफ्तार अभियुक्ता के विरूद्ध थाना धानेपुर पुलिस द्वारा विधिक कार्यवाही की जा रही है।

*पूछताछ का विवरणः-*
अभियुक्तगणों से पूछताछ के दौरान ज्ञात हुआ कि मृतका अपनी जमीन को अपनी बेटी के नाम रजिस्ट्री कराने हेतु रजिस्ट्री आफिस गोण्डा गयी थी। जिसका विरोध कर हम लोग अपनी माँ को अपने साथ घर ले आए और समझाने का प्रयास किया गया कि जमीन को अपने बेटी के नाम रजिस्ट्री न करे। नही मानने पर रात्रि में हम लोगो द्वारा अपनी माँ का गला दबाकर हत्या कर दी गयी।  

*गिरफ्तार अभियुक्ता-*
01. संगीता सिंह पत्नी संतोष सिंह निवासी गूंगीदेई थाना धानेपुर जनपद गोण्डा

*पंजीकृत अभियोग-*
01. मु0अ0स0-138/2024, धारा 302, 34 भादवि थाना धानेपुर जनपद गोण्डा।
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मंगलवार, 21 मई 2024

Gonda में बढ्ती अराज़कता का कौन है?

सत्ता पर विराजमान राजनितिक पार्टियों की यह ज़िम्मेदारी हैं, कि वह जनता को हर प्रकार की सुविधा मुहैया कराये साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि जनता को सुविधाओ का लाभ जिन माध्यमो से पहुंचाया जाना है वह अपना काम ईमानदारी के साथ कर भी रहे हैं या नहीं..? इसमें सबसे बड़ा रोल प्रशासन का होता है। 
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जिसके द्वारा जनता को सुविधा उपलब्ध कराई जाती हैं यदि प्रशासन ईमानदार है और वह चाहता है कि जनता सुखी तथा खुशहाल रहे तो वह जन-जन तक नियम व कानून के साथ अपनी सेवाएं प्रदान करता रहे। अगर वह ईमानदार नहीं है तो फिर जनता दर दर ठोकरे खाने को मजबूर हो जाती हैं। जिसके कारण उन्हें इंसाफ नहीं मिल पाता। प्रशासन की छत्र छाया में ऐसे लोग अपना कारोबार फैला ले रहे हैं जो समाज में बुराइयों को जन्म दे रहा होता है। गों डा जिला भी कुछ ऐसे ही भ्रष् और लालची कर्मचारियों से भरा पटा है जहां सरकार के नियम कानून को ठेंगा दिखा आम जनता के साथ नाइंसाफी किया जा रहा हैं। मामला गोंडा शहर का हो या फिर उसके बाहर का इस समय चौक चौबारों में सट्टेबाजी, अवैध शराब, नशीली दवाओं तथा वेश्यावृत्ति के साथ ही असमाजिक तत्वों ने अपने पैर पसार रखे हैं। चर्चा यह है कि यह सब स्थानित प्रसाशन की शह पर किया जा रहा है जिसकी जांच करा दोषियों पर कार्यवाही जरुरी हो गई है।
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हाल ही में अखबारोे मे  प्रकाशित फर्जी अस्पताल पर फिलहाल अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं किये जाने के कारण विभागीय शह पर बिना रजिष्ट्रेशन बेख़ौफ़ धडल्ले से कुकुरमुत्तो की तरह फर्जी अस्पताल खुलते जा रहे है जिनसे आम लोगों की जिंदगियो को खतरा पैदा हो गया है।

UP के इस खूबसूरत गांव में Fan तक नहीं, तपस्या के लिए आते हैं साधु-संत और भक्त



तेजी से बढ़ रही दुनिया से बिल्कुल अलग इस स्थान पर न शोर-शराबा है और न ही भीड़भाड़। यह स्थान तकनीकी प्रगति से अछूता है पर पवित्रता, दिव्यता और आध्यात्मिकता के काफी करीब है। मन की शांति और सुकून के लिए लोग इस स्थान पर आना पसंद करते हैं। 
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देश विज्ञान और तकनीक की ओर बढ़ रहा है। सिर्फ अपनी उंगलियों से हम दुनियाभर से संपर्क साथ सकते हैं। बिजली-पानी से अधिक अब हम एआई युग में प्रवेश कर चुके हैं। कैशलेस दौर में फोन के जरिए हर सुविधा मिल सकती है। ऐसे में बिना फोन रहना और तकनीक से बिल्कुल अछूता रहना बहुत मुश्किल सा लगता है। आज के समय में भी इस गाव में अगर आप सुकून के दो पल बिताना चाहते है तो एक बार आप जरूर यहा पर जरूर जाए।



लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में एक ऐसी जगह भी है, जो बिजली, मोबाइल, तकनीकी चीजों से बहुत दूर है। तेजी से बढ़ रही दुनिया से बिल्कुल अलग इस स्थान पर न शोर-शराबा है और न ही भीड़भाड़। यह स्थान तकनीकी प्रगति से अछूता है पर पवित्रता, दिव्यता और आध्यात्मिकता के काफी करीब है। मन की शांति और सुकून के लिए लोग इस स्थान पर आना पसंद करते हैं। आइए जानते हैं भारत के ऐसे गांव के बारे में।




कहां है टटिया गांव

उत्तर प्रदेश में स्थित वृंदावन शहर धार्मिक स्थल के रूप में मशहूर है। वृंदावन का छोटा सा टटिया गांव सुकून और शांति का अहसास कराता है। इस गांव के लोग शोर-शराबे, तकनीक, मशीन और बिजली के उपयोग से बिल्कुल दूर हैं।




यहां बिजली नहीं है और न ही गांव के लोग फोन व एसी का उपयोग करते हैं। ये जानकर हैरानी होगी कि जहां घर-घर में पंखे और एसी मिल जाते हैं, वहीं इस गांव के किसी भी घर में पंखे और बल्ब तक नहीं लगे हैं। यहां ठाकुर जी का एक मंदिर है, जिसमें भगवान को हवा देने के लिए पुराने जमाने के डोरी वाले पंखे का उपयोग होता है।


टटिया गांव का इतिहास

गांव से जुड़ा इतिहास काफी रोचक है। सातवें आचार्य स्वामी ललित किशोरी देव जी निधिवन छोड़कर एक निर्जल वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान लगाने का फैसला लिया। आचार्य जी के लिए इस जगह को सुरक्षित बनाने के लिए बांस के डंडे का उपयोग करते हुए पूरे इलाके को घेर लिया गया। स्थानीय भाषा में बांस की छड़ियों को टटिया कहते हैं। ऐसे में गांव का नाम टटिया पड़ा।

इसी स्थान पर साधु-संत संसार से अलग होकर ठाकुर जी की आराधना में लीन होने के लिए आते हैं। इस गांव में आकर लगेगा कि कई शताब्दियों पीछे चले गए हैं, जहां बाहरी दुनिया से कोई मोह या संपर्क नहीं होता।




टटिया गांव का खासियत
 
गांव काफी हरा-भरा है। यहां अलग-अलग तरह के पेड़-पौधे लगे हैं। हर पेड़ देवताओं को समर्पित है। मान्यता है कि पेड़ों के पत्तों पर राधा नाम उभरा हुआ होता है। सबसे अधिक नीम, पीपल और कदंब के पेड़ हैं।
इस आध्यात्मिक स्थान पर लोग पूजा या आरती नहीं करते हैं। हालांकि यहां लोग एकत्र होकर राधा कृष्ण के भजन गाते हैं।
इस गांव में आज भी कुएं का पानी पिया जाता है। साफ सफाई का ध्यान रखा जाता है। इस गांव में बहुत सारे साधु संत आते हैं लेकिन कोई भी दान दक्षिणा नहीं  लेता और न ही कोई दान पेटी यहां रखी गई है।
अगर आप यहां आना चाहते हैं तो याद रखें कि फोन लेकर आने की पाबंदी है। इसके अलावा किसी तरह के आधुनिक उपकरण का उपयोग इस गांव में करने की मनाही है। वहीं महिलाओं को सिर ढककर ही प्रवेश की अनुमति होती है।
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स्काउट गाइड ने रेल यात्रियों को पिलाया पानी




गोण्डा__पूर्वोत्तर रेलवे भारत स्काउट एंड गाइड्स जिला संघ अध्यक्ष डॉक्टर एस. के. मिश्रा, मुख्य जिला आयुक्त आशीष कुमार मद्धेशिया  जिला आयुक्त (स्काउट) गिरीश सिंह जी, जिला आयुक्त (गाइड) श्रीमती नीलम सिंह तथा श्री गांधी विद्यालय इण्टर कॉलेज, रेल कैम्पस के प्रधानाचार्य मेजर राजेश द्विवेदी जी के संयुक्त निर्देशानुसार पूर्वोत्तर रेलवे गोंडा स्टेशन पर संस्था के स्काउट गाइड सदस्यों द्वारा रेल यात्रियों के लिए निशुल्क पेयजल की व्यवस्था की गई थी। 
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जिला संध गोण्डा के जिला सचिव प्रकाश ठाकुर ने बताया कि यह सेवा कार्य 11 दिनों तक चला। जिसमे संस्था के दो दर्जन से अधिक सदस्यों मे स्काउट अनुभाग से योगेश मौर्या,मनीष कुमार,प्रवीन कुमार,अर्जुन वर्मा,अमन कुमार,सूरज कश्यप सर्वनीत,अंशु सोनू किशन,चंद्रप्रकाश आकाश पाठक,आशुतोष,
आकाश उपाध्याय व गाईड विंग से नैना ,महक,बानो,रूपा,लक्ष्मी गौतम,प्रियंका सोनकर,अर्चना विश्वकर्मा
आराधना विश्वकर्मा
ट्विंकल द्विवेदी आदि
ने सेवा परम धर्म के उद्देश्य का पालन करते हुऐ रेल यात्रियो को पिलाया पानी जिसकी प्रसंशा लोगो ने खूब किया।
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शुक्रवार, 17 मई 2024

आज होगा सपा प्रत्याशी के समर्थन मे डिम्पल यादव का रोड शो

आज होने वाले सपा की स्टार प्रचारक डिंपल यादव के गोंडा में होने वाले रोड शो में परिवर्तन किया गया है। 
डिंपल अब गोंडा से धानेपुर तक रोड शो करने के बजाय शहर के पांच किमी के दायरे में रोड शो करेंगी।
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सपा ने डिंपल के 20 किमी लंबे रोड शो के लिए अनुमति मांगी थी लेकिन प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी।‌ प्रशासन ने अंबेडकर चौराहे से बड़गांव मनकापुर बाईपास से झंझरी ब्लाक होते हुए पांच किमी तक रोड शो की अनुमति दी है‌।

सपा जिलाध्यक्ष अरशद हुसैन ने बताया कि डिंपल आज 11.30 बजे गोंडा स्थित पुलिस लाइन में बने हेलीपैड पर उतरेंगी। यहां से वह सीधे अंबेडकर चौराहे पर पहुंचेंगी। यहीं से रोड शो की शुरूआत होगी। शाम चार बजे अंबेडकर चौराहे पर पहुंचकर ही रोड शो समाप्त होगा।

बुधवार, 15 मई 2024

बाबा ने खत्म कर दि या यू पी से माफिया राज़

UP Politics Bahubali: उत्तर प्रदेश में माफिया और बाहुबलियों का दबदबा कम होता नजर आ रहा है। एक वक्त था जब यूपी में माफिया और बाहुबलियों की तूती बोलती थी। इतना ही नहीं राजनीतिक दल बड़े स्तर पर माफियाओं और बाहुबलियों को संरक्षण देते थे। राजनीतिक संरक्षण की आड़ में यह बाहुबली शख्स किसी भी जमीन पर कब्जा करना, अपने तरीके से धन उगाही करना और शासन-प्रशासन से अपने तौर तरीकों से काम कराना शामिल रहा है। इन बाहुबलियों का खौफ इस कदर भी था कि बड़े-बड़े प्रशासनिक अधिकारी भी इनके हिसाब से चलते थे, लेकिन बदलती समय की गति के साथ अब माफिया और बाहुबलियों का वो दबदबा नहीं है, जो एक वक्त होता था। अब इसको चाहे योगी सरकार कार्रवाई का नतीजा कहें या फिर अब पार्टियों ने बाहुबलियों और माफियाओं से परहेज करना शुरू कर दिया है।
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आगामी लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस समय तमाम राजनीतिक दलों ने माफियाओं ले दूरी बना ली है। एक वक्त इन्हीं माफियाओं का यूपी में खौफ होता था। इनके इशारे पर शासन-प्रशासन काम करता था। आइए इन्हीं कुछ माफियाओं और बाहुबलियों पर एक नजर डालते हैं


 
अतीक अहमद
80 के दशक में अतीक अहमद ने अपराध की दुनिया में अपने पैर जमा लिए थे। वो यूपी में अपराध की दुनिया का बादशाह बन चुका था। इसके बाद अतीक ने राजनीति में कदम रखा। साल 1989 में इलाहाबाद पश्चिमी सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचा। करीब तीन दशक तक प्रयागराज में अतीक की सियासी पारी का खेल चला। इसके बाद उसने संसद तरफ रूख किया और साल 2004 में संसद की दहलीज पर पहुंचा।
संसद पहुंचने के बाद अतीक अहमद ने इलाहाबाद पश्चिमी सीट अपने भाई अशरफ को सौंप दी। अशरफ को चुनावी मात देने वाले राजू पाल की हत्‍या तक करवा दी। वहीं, जब यूपी में योगी की सरकार बनी तो एक्‍शन शुरू हुआ। योगी के राज में अतीक के आतंक को खत्म कर दिया गया। ऐसे अतीक की इस पारी पर विराम लग गया।

मुख्तार अंसारी
पूर्वांचल के सबसे बड़े माफ‍िया के रूप में मुख्तार अंसारी का नाम लिया जाता है। मुख्तार का भी राजनीति में पूरा दमखम रहा है। जेल के बाहर हो या जेल में मुख्‍तार जिस चुनाव में खड़ा होता था, जीत मिलती।

 
बात 90 के दशक की है। उस वक्त पूर्वांचल में बृजेश सिंह और मुख्‍तार अंसारी की दुश्‍मनी के चर्च पूरे देश में होने लगे। इसी वक्त मुख्तार की राजनीति में एंट्री होती है। मुख्तार बसपा के टिकट पर मऊ विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचा। इसके बाद गाजीपुर में अंसारी परिवार का कब्जा बना रहा।


बहुमत न होने पर फिर चुनाव, 
वहीं, जब अंसारी परिवार के वर्चस्‍व को भाजपा नेता कृष्‍णानंद राय ने तोड़ा तो यह बात मुख्‍तार अंसारी को हजम नहीं हुई। साल 2005 में मुख्‍तार अंसारी ने भाजपा नेता कृष्‍णानंद राय की हत्‍या करवा दी। लेकिन यूपी में योगी सरकार आते ही मुख्तार अंसारी पर कार्रवाई शुरू हुई और उसको जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया। इसके बाद अंसारी परिवार का रसूख कम हो गया।

धनंजय सिंह
जौनपुर में पूर्व सांसद धनंजय सिंह को रॉबिनहुड के तौर पर जाना जाता रहा है। धनंजय सिंह का भी पूर्वांचल में खासा वर्चस्व रहा। धनंजय सिंह कई पार्टियों में सांसद और विधायक रहे। 33 साल के आपराधिक इतिहास में पहली बार धनंजय सिंह को सजा हुई। इसी के साथ उनके राजनीतिक करियर पर भी संकट मंडराने लगा। दो बार के विधायक और एक बार के सांसद धनंजय सिंह को पिछले दिनों 7 साल की सजा सुनाई गई और वह जेल में हैं।

अमरमणि त्रिपाठी
अमरमणि त्रिपाठी का नाम यूपी के बाहुबली नेताओं में आता है। एक समय था जब पूर्वी यूपी में उनका खासा रसूख था। यूपी की राजनीति में वो कभी सपा तो कभी बसपा और कमल के फूल के साथ रहकर सत्ता का सुख भोगते रहे, लेकिन मधुमिता हत्याकांड के बाद उनकी सितारे गर्दिश में जाते चले गए। अगस्त, 2023 को अमरमणि त्रिपाठी 20 साल बाद जेल की सलाखों से बाहर निकले।

अमरमणि त्रिपाठी ने अपनी राजनीति के शुरुआत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से की, लेकिन इसके बाद वो कांग्रेस के साथ आ गए। उन्होंने कांग्रेस के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी का अपना राजनीतिक गुरू बनाया और उनसे राजनीति के गुर सीखे। राजनीति में आने से पहले ही वो अपराध की दुनिया में एंट्री कर चुके थे। उनपर हत्या, लूट और मारपीट जैसे कई मामले दर्ज थे. कुछ ही समय में अमरमणि त्रिपाठी ने पूरे इलाके पर दबदबा कायम कर लिया।

अमरमणि त्रिपाठी ने साल 1996 में पहली बार महाराजगंज की नौतनवा विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद वो लगातार चार बार इस सीट से विधायक रहे। 1997 में वो कांग्रेस को छोड़कर लोकतांत्रिक कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और फिर कल्याण सिंह की सरकार में मंत्री बन गए। साल 2001 में बस्ती के एक बिजनेसमैन के बेटे के अपहरण मामले में उनका नाम आया तो बीजेपी ने उनसे किनारा कर लिया।

विजय मिश्रा
80 के दशक में विध्‍यांचल क्षेत्र में विजय मिश्रा का नाम गूंजा। उस वक्त विजय मिश्रा पेट्रोल पंप का और ट्रक संचालन का काम करता था। दबदबा इतना था कि उसके ट्रकों को पुलिस भी रोकने से डरती थी। अपराध की दुनिया में नाम बढ़ा तो विजय मिश्रा ने राजनीति में जाने का मन बना लिया। कहा जाता है कि पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलापति त्रिपाठी ने विजय मिश्रा को राजनीति की राह दिखाई। इसके बाद विजय मिश्रा ज्ञानपुर सीट से ब्‍लॉक प्रमुख चुना गया। राजनीति में प्रभाव बढ़ता गया और धीरे-धीरे मुलायम सिंह के खास बन गए। कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव, विजय मिश्रा को अपने बेटे की तरह मानते थे। जेल में बंद विजय मिश्रा को मुलायम की सरकार बनते ही रिहा कर दिया गया था। योगी सरकार में विजय मिश्रा सलाखों के पीछे हैं।


पुष्‍कर स‍िंंह धामी के भी थे चहेतेहरिशंकर तिवारी
यूपी की बात की जाए तो यहां माफियागिरी की शुरुआत हरिशंकर तिवारी के हाथों हुई मानी जाती है। माफियाओं के बीच उन्हें बाबा का तमगा हासिल था। कोई भी बाहुबली हो लेकिन हरिशंकर तिवारी से भिड़ने की कोई जुर्रत नहीं करता था। माफिया जगत में वो हर किसी के लिए सम्मानीय थे।
हरिशंकर तिवारी को माफ‍िया का गॉड फादर कहा जाने लगा। अपराध में आतंक बढ़ा तो हरिशंकर तिवारी ने राजनीति में कदम रखा. गोरखपुर विश्‍वविद्यालय में छात्र राजनीति से विधानसभा तक सफर किया. कहा जाता है कि जेल में बंद रहने के दौरान पहली बार वह चुनाव जीते। ऐसा कमाल उस समय तक कोई और नहीं कर पाया था। योगी सरकार आने के बाद हरिशंकर तिवारी का परिवार हाशिये पर है।

रामाकांत और उमाकांत यादव
रामाकांत और उमाकांत यादव को पूर्वांचल में अच्छा खासा दबदबा है। यादव वोटों पर मजबूत पकड़ रखने वाले चार बार के सांसद और पांच बार के विधायक बाहुबली नेता रमाकांत यादव जेल में बंद हैं। इस बार चुनाव में उनका कोई प्रभाव नहीं रहेगा। ज्ञानपुर के पूर्व विधायक विजय मिश्र की हत्या के मामले में जेल में बंद उमाकांत यादव भी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।


ऐसे में कहा जा सकता है कि राजनीतिक दलों ने भी बाहुबलियों से पीछा छुड़ाना शुरू कर दिया है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि 1970 से लेकर 2017 तक पूर्वांचल से लेकर बुंदेलखंड और पश्चिम इलाके तक बाहुबलियों का बोलबाला हुआ करता था। यह न सिर्फ चुनाव लड़ते थे, बल्कि पार्टियों को ब्लैकमेल भी करते थे और चुनाव को बाधित करते थे।

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राशन लोगे सरकार से और वोट दोगे किसी और को’ यह कह कर चौकीदार को दो होम गार्डो ने बुरी तरह पीटा

राशन लोगे सरकार से और वोट दोगे किसी और को’ यह कह कर चौकीदार को दो होम गार्डो ने बुरी तरह पीट पीट क र दि या 
अध् मरा 
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बरेली में एक चौकाने वाला मामला सामने आया है। जहा वर्दी में दो होम गार्डो ने एक चौकीदार को केवल इस लिए बुरी तरह पीट दिया क्योकि उनका मानना था कि मुफ्त का राशन चौकीदार सरकार से लेता है, और वोट किसी अन्य दल को देता है। बस इसी बात पर दोनों होमगार्ड ने चौकीदार को ज़मीन में गिरा कर बुरी तरह से पीट दिया। घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।

घटना के सम्बन्ध में मिली जानकारी के मुताबिक ये पूरा मामला बरेली के नवाबगंज थाने का सामने आया है। बहोरनगला गांव निवासी वीरेंद्र कुमार जाटव नवाबगंज थाने में चौकीदार के पद पर तैनात हैं। वीरेंद्र कुमार अपनी जमीन से फर्द निकलवाने के लिए तहसील पहुंचे थे। आरोप है कि तहसीलदार कार्यालय में तैनात होमगार्ड वीर बहादुर और रामपाल का उनसे चुनावी टिप्पणी को लेकर विवाद हो गया।आरोप है कि वीर बहादुर और रामपाल ने चौकीदार से कहा कि वे सरकार से मुफ्त राशन लेते हैं। लेकिन वोट नहीं करते। इसी बात को लेकर दोनों पक्षों के बीच विवाद इतना बढ़ा कि मारपीट होने लगी। बताया जा रहा है कि राशन की बात पर चौकीदार ने कहा कि जो गरीब है वही राशन ले रहा है। आरोप है कि दोनों होम गार्डों ने चौकीदार को बुरी तरह पीटा। अब इस मामले पर पुलिस ने मारपीट और एसटी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया है।

आरोप है कि होमगार्डों ने चौकीदार को राइफल की बट से भी पीटा। ये पूरी मारपीट तहसील परिसर में ही हुई। चौकीदार का आरोप है कि होम गार्ड ने उसके साथ गाली-गलौज की और जमकर पिटाई की। फिलहाल इस पूरे मामले में पुलिस अधिकारियों ने केस दर्ज कर लिया है। मामले की जांच की जा रही है।

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सिपाही से बाबा बने हत्यारे हरि का साम्राज्य   नारायण हरि साकार।

ढोंगी बाबाओं की श्रृंखला में एक नाम और शुमार हो गया।  नारायण हरि साकार।  यह हत्यारा बाबा रातों-रात नहीं खड़ा हो गया कि एक दिन में इसका सौ करो...