गांव के कई निवासियों जैसे राम परसन, राम बाबू, और बाल गोविंद ने अपनी निराशा व्यक्त की है। उनका कहना है कि जॉब कार्ड होने के बावजूद पिछले दो सालों से उन्हें रोजगार नहीं मिला है। इसके विपरीत, ग्राम प्रधान प्रतिनिधि प्रमोद पांडेय का कहना है कि गांव के लोग काम करने के इच्छुक नहीं हैं, इसलिए बाहरी श्रमिकों को काम पर लगाया गया है।
प्रभारी खंड विकास अधिकारी विजय बहादुर सिंह ने बताया कि मनरेगा योजना के तहत कार्य उसी ग्राम पंचायत के श्रमिकों से कराया जाना चाहिए। यदि स्थानीय श्रमिक उपलब्ध नहीं हैं, तो न्याय पंचायत से श्रमिक लिए जा सकते हैं। ठेके पर कार्य कराए जाने की शिकायत गंभीर है और इसकी जांच कराई जाएगी।
इस मामले में स्थानीय श्रमिकों की मांग है कि उन्हें उनके अधिकारों के तहत रोजगार और पूर्व की मजदूरी का भुगतान मिले। उन्होंने इस मुद्दे की विस्तृत जांच और उचित समाधान की मांग की है।