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शुक्रवार, 7 जून 2024

आरजेडी सांसद मनोज झा का दवा नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू नहीं रहेंगे एनडीए गठबंधन के सा थ

9 जून को प्रधानमंत्री मोदी शपथ लेने जा रहे हैं इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने एक बड़ा दावा किया है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथ गठबंधन में नहीं रहेंगे। मनोज झा ने कहा कि वह दोनों नेताओं की राजनीति को अच्छे से समझते हैं और उनका कहना है कि नीतीश कुमार और नायडू दोनों ही भाजपा के साथ लंबे समय तक नहीं रह सकते। 
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मनोज झा ने यह भी संकेत दिया कि जो लोग नीतीश कुमार से बात करना चाहते हैं, वे उनसे संपर्क में हैं। यह बयान तब आया है जब नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी 2024 के लोकसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। 
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मनोज झा के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू I.N.D.I.A (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के संपर्क में हैं। अगर यह सच है तो इसका एनडीए की राजनीति पर बड़ा असर हो सकता है, खासकर तब जब एनडीए को जादूई आंकड़े तक पहुंचने के लिए सहयोगियों की जरूरत होगी। यह बयान उसे समय आया है जब प्रधानमंत्री मोदी 9 जून को शपथ लेंगे राजनीति में ऊंट किस तरह बैठेगा कोई नहीं जानता लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता की बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि पलटू राम की हैं वह कब कौन सा निर्णय ले ले कोई नहीं जानता

बुधवार, 29 मई 2024

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1 जून तक मेडिटेशन के लिए कन्याकुमारी के विवेकानंद रॉक मेमोरियल में रहेंगे।

लोकसभा चुनाव 2024 के अंतिम चरण की वोटिंग 1 जून को होनी है, जिसके लिए आज, 30 मई, को चुनाव प्रचार थम जाएगा। 


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इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1 जून तक मेडिटेशन के लिए कन्याकुमारी के विवेकानंद रॉक मेमोरियल में रहेंगे।
 विपक्ष के नेताओं ने पीएम मोदी की इस यात्रा पर सवाल उठाए हैं और चुनाव आयोग से शिकायत की है।
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CPI(M) तमिलनाडु के सचिव के बालाकृष्णन ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर मांग की है कि प्रधानमंत्री के मेडिटेशन के दौरान इससे जुड़ी खबरों के प्रसारण पर रोक लगाई जाए।
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 उन्होंने कहा कि मेडिटेशन पीएम की निजी पसंद है, लेकिन इसका मीडिया प्रसारण पीएम और भाजपा के लिए प्रचार का माध्यम बन सकता है, जो आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है।
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कांग्रेस ने भी इसी मसले पर चुनाव आयोग से शिकायत की है। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है
 कि 48 घंटे के साइलेंट पीरियड के दौरान किसी भी प्रकार के प्रचार की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
 उन्होंने कहा कि पीएम के मौन व्रत की घोषणा करना प्रचार का तरीका हो सकता है, जो आचार संहिता का उल्लंघन है। 
उन्होंने चुनाव आयोग से दो बिंदु रखे हैं: या तो पीएम 1 जून की शाम को मौन व्रत शुरू करें या इसके मीडिया प्रसारण पर रोक लगाई जाए।
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. प्रधानमंत्री मोदी की ध्यान साधना..

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के दौरान ध्यान साधना के लिए कन्याकुमारी जाने की योजना का समाचार विभिन्न आयामों को छूता है। नरेंद्र मोदी का चुनावी राजनीति से कुछ समय के लिए दूर होकर विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर ध्यान करने का निर्णय न केवल उनकी व्यक्तिगत आस्थाओं को दर्शाता है, बल्कि यह भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों की ओर भी इशारा करता है।
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### विवेकानंद रॉक मेमोरियल का महत्व

विवेकानंद रॉक मेमोरियल कन्याकुमारी के तट से 500 मीटर दूर स्थित है और यह एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। यह स्मारक उस स्थान को चिह्नित करता है जहां स्वामी विवेकानंद ने ध्यान किया था। यह चट्टान भारत के दक्षिणी सिरे पर स्थित है, जहां भारत के पूर्वी और पश्चिमी तट रेखाएं मिलती हैं। इस चट्टान पर ध्यानमग्न रहकर स्वामी विवेकानंद ने विकसित भारत का सपना देखा था और 'भारत माता' की परिकल्पना की थी।
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### प्रधानमंत्री मोदी की ध्यान साधना

प्रधानमंत्री मोदी का इस ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थल पर ध्यान लगाना उनके स्वामी विवेकानंद के प्रति सम्मान को दर्शाता है। स्वामी विवेकानंद ने जिस तरह इस चट्टान पर बैठकर ध्यान लगाया था और अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय यहां बिताया था, उसी तरह नरेंद्र मोदी भी शांति और साधना के लिए इस स्थान का चयन कर रहे हैं। यह कदम उनके द्वारा चुनाव प्रचार और रैलियों के धुआंधार कार्यक्रमों के बाद एक मानसिक और आत्मिक विश्राम का प्रतीक है।
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### सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व

विवेकानंद रॉक मेमोरियल न केवल एक पर्यटन स्थल है, बल्कि यह भारत के महान संत स्वामी विवेकानंद की याद में बना एक महत्वपूर्ण स्थल भी है। देवी पार्वती द्वारा इसी स्थान पर भगवान शिव के लिए उपासना किए जाने की पौराणिक कथा इसे और भी महत्व देती है। इस प्रकार, यह स्थान ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस स्थल पर ध्यान लगाना न केवल उनकी व्यक्तिगत आस्थाओं का प्रतीक है, बल्कि यह स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं और उनके दृष्टिकोण को सम्मान देने का एक तरीका भी है। यह कदम भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को पुनः जागृत करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
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सिपाही से बाबा बने हत्यारे हरि का साम्राज्य   नारायण हरि साकार।

ढोंगी बाबाओं की श्रृंखला में एक नाम और शुमार हो गया।  नारायण हरि साकार।  यह हत्यारा बाबा रातों-रात नहीं खड़ा हो गया कि एक दिन में इसका सौ करो...