प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के दौरान ध्यान साधना के लिए कन्याकुमारी जाने की योजना का समाचार विभिन्न आयामों को छूता है। नरेंद्र मोदी का चुनावी राजनीति से कुछ समय के लिए दूर होकर विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर ध्यान करने का निर्णय न केवल उनकी व्यक्तिगत आस्थाओं को दर्शाता है, बल्कि यह भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों की ओर भी इशारा करता है।

### विवेकानंद रॉक मेमोरियल का महत्व
विवेकानंद रॉक मेमोरियल कन्याकुमारी के तट से 500 मीटर दूर स्थित है और यह एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। यह स्मारक उस स्थान को चिह्नित करता है जहां स्वामी विवेकानंद ने ध्यान किया था। यह चट्टान भारत के दक्षिणी सिरे पर स्थित है, जहां भारत के पूर्वी और पश्चिमी तट रेखाएं मिलती हैं। इस चट्टान पर ध्यानमग्न रहकर स्वामी विवेकानंद ने विकसित भारत का सपना देखा था और 'भारत माता' की परिकल्पना की थी।

### प्रधानमंत्री मोदी की ध्यान साधना
प्रधानमंत्री मोदी का इस ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थल पर ध्यान लगाना उनके स्वामी विवेकानंद के प्रति सम्मान को दर्शाता है। स्वामी विवेकानंद ने जिस तरह इस चट्टान पर बैठकर ध्यान लगाया था और अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय यहां बिताया था, उसी तरह नरेंद्र मोदी भी शांति और साधना के लिए इस स्थान का चयन कर रहे हैं। यह कदम उनके द्वारा चुनाव प्रचार और रैलियों के धुआंधार कार्यक्रमों के बाद एक मानसिक और आत्मिक विश्राम का प्रतीक है।

### सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व
विवेकानंद रॉक मेमोरियल न केवल एक पर्यटन स्थल है, बल्कि यह भारत के महान संत स्वामी विवेकानंद की याद में बना एक महत्वपूर्ण स्थल भी है। देवी पार्वती द्वारा इसी स्थान पर भगवान शिव के लिए उपासना किए जाने की पौराणिक कथा इसे और भी महत्व देती है। इस प्रकार, यह स्थान ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस स्थल पर ध्यान लगाना न केवल उनकी व्यक्तिगत आस्थाओं का प्रतीक है, बल्कि यह स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं और उनके दृष्टिकोण को सम्मान देने का एक तरीका भी है। यह कदम भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को पुनः जागृत करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
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